जल अदालत – जलाधिकार

जल अदालत जलाधिकार एवं नोएडा आरडब्लयूए पानी बिलों के खिलाफ संघर्ष के राह पर जलाधिकार (स्वयंसेवी संगठन) के तत्वाधान में नोएडा के विभिन्न सेक्टरों के निवासी कल्याण संघों (आरडब्लयूए) के प्रतिनिधियों की एक विशाल सभा में यह निर्णय लिया गया कि नोएडा प्राधिकरण के द्वारा हाल ही में नोएडा के निवासियों को लाखों एव हजारों के पानी के बिलों का भुगतान न करने का निर्णय लिया गया। जलाधिकार के अध्यक्ष श्री गोपाल अग्रवाल ने लोगों को आगाह किया कि सरकार पेयजल की कमी का बहाना बनाकर जल संसाधनों का निजीकरण करना चाहती ...
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विश्व जल दिवस – जलाधिकार

विश्व जल दिवस  : पानी के व्यवसायीकरण का विरोध विश्व जल दिवस के अवसर पर देश की राजधानी में स्वयम् सेवी संस्था जलाधिकार के तत्वाधान में पानी की समस्या पर राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजित किया गया। अधिवेशन में सामुहिक परिचर्चा में वक्ताओं ने विचार व्यक्त करे हुये कहा कि सृष्टि की रचना के साथ ही प्रकृति ने हमें निर्बाध रूप से हवा, पानी व प्रकाश प्रचुरता में उपलब्ध कराया है। प्राणी मात्र के लिए प्रकृति प्रदत्त पंचतत्व अमूल्य हैं। सृष्टि रचना में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। अतः प्रकृति के नियमों के तहत ही ...
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भारत में पानी की समस्या

जमीनी हकीकत यह है कि भारत में 1,420,000 गांवों, 1, 95,813 के पानी का रासायनिक संदूषण से प्रभावित कर रहे हैं. जमीन की गुणवत्ता का पानी जो घरेलू आपूर्ति का 85% से अधिक खातों में से कोई भी नदियों के रूप में कई क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या है पानी पीने के लिए फिट है. 37700000-75 लोग जिनके बच्चे हैं% से अधिक जलजनित रोगों से हर साल पीड़ित हैं. भूजल पर Overdependence contaminants में लाया गया है, उनमें से एक फ्लोराइड जा रहा है. 20 राज्यों में लगभग 66 लाख लोगों को पानी में फ्लोराइड की वजह से अत्यधिक ...
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भूजल में घुलता जहर

देश के पचास फीसद से अधिक जिलों का भूजलस्तर तेजी से गिर रहा है। कई महानगरों समेत देश के सैकड़ों स्थानों पर भूजल खतरनाक ढंग से जहरीला हो चुका है। जनजीवन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। जल्द ही इस समस्या से न निपटा गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसके संकटों का जायजा ले रहे हैं पंकज चतुर्वेदी। दिल्ली सहित कुछ राज्यों में भूजल के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए कानून बन गए हैं, लेकिन भूजल को दूषित करने वालों पर अंकुश महज कानून की किताबों तक महदूद हैं। यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दशकों मे...
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समुद्र का मरीन इको सिस्टम खतरे में

हिमालय के ग्लेशियर ही नहीं, बल्कि समुद्र की मरीन इकोलॉजी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यह खतरा समुद्री मालवाहक जहाजों के घिट्टी पानी (ब्लास्ट वाटर) से आ रहे जीवाणुओं से हो रहा है जो एक महाद्वीप का पानी लेकर दूसरे में डाल रहे हैं। पानी के जहाजों के इस घिट्टी पानी के कारण जापान के समुद्र में फैले फुकुशिमा रिएक्टरों के रेडियो एक्टिव तत्व दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में पहुंचने का खतरा भी कायम है। हालांकि भारत ने इन खतरों से निपटने के लिए इको फ्रेंडली ब्लास्ट वाटर ट्रीटमेंट प्रौद्योगिकी विकसित क...
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