जमीनी हकीकत यह है कि भारत में 1,420,000 गांवों, 1, 95,813 के पानी का रासायनिक संदूषण से प्रभावित कर रहे हैं. जमीन की गुणवत्ता का पानी जो घरेलू आपूर्ति का 85% से अधिक खातों में से कोई भी नदियों के रूप में कई क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या है पानी पीने के लिए फिट है.
37700000-75 लोग जिनके बच्चे हैं% से अधिक जलजनित रोगों से हर साल पीड़ित हैं. भूजल पर Overdependence contaminants में लाया गया है, उनमें से एक फ्लोराइड जा रहा है. 20 राज्यों में लगभग 66 लाख लोगों को पानी में फ्लोराइड की वजह से अत्यधिक ...
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भूजल में घुलता जहर
देश के पचास फीसद से अधिक जिलों का भूजलस्तर तेजी से गिर रहा है। कई महानगरों समेत देश के सैकड़ों स्थानों पर भूजल खतरनाक ढंग से जहरीला हो चुका है। जनजीवन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। जल्द ही इस समस्या से न निपटा गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसके संकटों का जायजा ले रहे हैं पंकज चतुर्वेदी।
दिल्ली सहित कुछ राज्यों में भूजल के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए कानून बन गए हैं, लेकिन भूजल को दूषित करने वालों पर अंकुश महज कानून की किताबों तक महदूद हैं। यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दशकों मे...
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समुद्र का मरीन इको सिस्टम खतरे में
हिमालय के ग्लेशियर ही नहीं, बल्कि समुद्र की मरीन इकोलॉजी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यह खतरा समुद्री मालवाहक जहाजों के घिट्टी पानी (ब्लास्ट वाटर) से आ रहे जीवाणुओं से हो रहा है जो एक महाद्वीप का पानी लेकर दूसरे में डाल रहे हैं। पानी के जहाजों के इस घिट्टी पानी के कारण जापान के समुद्र में फैले फुकुशिमा रिएक्टरों के रेडियो एक्टिव तत्व दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में पहुंचने का खतरा भी कायम है। हालांकि भारत ने इन खतरों से निपटने के लिए इको फ्रेंडली ब्लास्ट वाटर ट्रीटमेंट प्रौद्योगिकी विकसित क...
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ग्लोबल वार्मिंग, ग्लोबल वार्निंग
ग्लोबल वार्मिंग आज विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे न केवल मनुष्य बल्कि धरती पर रहने वाला हर प्राणी परेशान है। इससे निपटने के लिए दुनिया भर में प्रयास हो रहे हैं, लेकिन यह समस्या घटने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। दरअसल, धरती प्राकृतिक तौर पर सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से होते हुए धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिक...
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गर्माते जल स्रोतों की खोज खबर
नासा की ताजा रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2060 तक धरती का औसत तापमान चार डिग्री बढ़ जाएगा, जिससे एक तरफ प्राकृतिक जलस्रोत गर्माने लगेंगे, वहीं लोगों का विस्थापन भी बढ़ेगा। पर्यावरण में आ रहे बदलावों से जूझने के लिए हर तरफ प्रयास हो रहे हैं। पिछले दिनों अमरीकी वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार चौंकाती रिपोर्ट प्रस्तुत की है कि लगातार बढ़ता ताप धरती की अपेक्षा उसके जल स्रोतों को तेजी से गर्म कर रहा है, जो धरती के ताप में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण है। इस दिशा में नासा के वैज्ञानिकों ने विश्व स्तर पर विभिन्न देशो...
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