बिजली, पानी व पहुंचमार्ग को तरस रहे पित्तेगुडूमवासी

कांकेर जिले के दुर्गूकोंदल विकासखंड के अंतर्गत पित्तेगुडूम गांव के ग्रामीण मूलभूति सुविधाओं को तरस रहे हैं। शासन की योजनाएं यहां तक नहीं पहुंचतीं। इस गांव में न तो बिजली पहुंची है, न ही पेयजल की कोई स्थायी व्यवस्था। गांव में एक भी तालाब नहीं है, न ही पहुंचमार्ग। हैंडपंप भी तीन माह से बिगड़ा पड़ा है। आंगनबाड़ी नहीं होने से नौनिहाल उसके लाभ से वंचित हैं। अंदरूनी इलाका होने के कारण यहां कोई बड़ा अधिकारी भी नहीं पहुंचता। इसके चलते ग्रामीण भी परेशान हैं कि आखिर वे अपनी शिकायत करें भी तो किससे। ग्रामीण...
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नोएडा में औद्योगिकरण के नाम पर भू-जल का होता दोहन

स्वच्छ पीने योग्य पानी का जीवन में अत्यधिक महत्व है। लेकिन आज औद्योगिकरण के कारण भूजल का अनाप शनाप दोहन हो रहा है। और साथ ही औद्योगिक इकाई से निकला हुआ गंदा पानी बिना किसी ट्रीटमेंट के जमीन में रिसाव करने के कारण भू-गर्भ के जल को भी प्रदूषित कर रहा है। इस लापारवाही के कारण आज जगह जगह अनेक जानलेवा बीमारियां फैल रहीं है। हाल के दिनों में ग्रेटर नोएडा/नोएडा में कैंसर जैसी भंयकर बिमारी का प्रकोप फैल रहा है। अगर हम इसके प्रति सजग नहीं हुए तो यह विकराल रुप ले लेगा। जलाधिकार संस्था जो जल के विषय में...
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भारत में पानी की समस्या

जमीनी हकीकत यह है कि भारत में 1,420,000 गांवों, 1, 95,813 के पानी का रासायनिक संदूषण से प्रभावित कर रहे हैं. जमीन की गुणवत्ता का पानी जो घरेलू आपूर्ति का 85% से अधिक खातों में से कोई भी नदियों के रूप में कई क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या है पानी पीने के लिए फिट है. 37700000-75 लोग जिनके बच्चे हैं% से अधिक जलजनित रोगों से हर साल पीड़ित हैं. भूजल पर Overdependence contaminants में लाया गया है, उनमें से एक फ्लोराइड जा रहा है. 20 राज्यों में लगभग 66 लाख लोगों को पानी में फ्लोराइड की वजह से अत्यधिक ...
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भूजल में घुलता जहर

देश के पचास फीसद से अधिक जिलों का भूजलस्तर तेजी से गिर रहा है। कई महानगरों समेत देश के सैकड़ों स्थानों पर भूजल खतरनाक ढंग से जहरीला हो चुका है। जनजीवन पर इसका विपरीत असर पड़ रहा है। जल्द ही इस समस्या से न निपटा गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसके संकटों का जायजा ले रहे हैं पंकज चतुर्वेदी। दिल्ली सहित कुछ राज्यों में भूजल के अंधाधुंध इस्तेमाल को रोकने के लिए कानून बन गए हैं, लेकिन भूजल को दूषित करने वालों पर अंकुश महज कानून की किताबों तक महदूद हैं। यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दशकों मे...
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समुद्र का मरीन इको सिस्टम खतरे में

हिमालय के ग्लेशियर ही नहीं, बल्कि समुद्र की मरीन इकोलॉजी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यह खतरा समुद्री मालवाहक जहाजों के घिट्टी पानी (ब्लास्ट वाटर) से आ रहे जीवाणुओं से हो रहा है जो एक महाद्वीप का पानी लेकर दूसरे में डाल रहे हैं। पानी के जहाजों के इस घिट्टी पानी के कारण जापान के समुद्र में फैले फुकुशिमा रिएक्टरों के रेडियो एक्टिव तत्व दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में पहुंचने का खतरा भी कायम है। हालांकि भारत ने इन खतरों से निपटने के लिए इको फ्रेंडली ब्लास्ट वाटर ट्रीटमेंट प्रौद्योगिकी विकसित क...
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